Saturday, September 14, 2019

#हिंदी दिवस

हिंदी की वर्तमान स्थिति पर गंभीरता से विचार रखते हुए कई विद्वान रचनाकार 14 सितंबर के दिन "हिंदी दिवस" मनाने को हिंदी की दयनीय स्थिति और हिंदी वालों की विवशता मानकर चिन्तित दिखाई देते हैं, वहीं मैं हिंदी की वर्तमान स्थिति व इसकी उन्नति- प्रगति को लेकर पूर्ण आश्वस्त हूँ! इस आश्वस्ति का कारण यह है कि परिवर्तनशील परिदृश्य में हिंदी ने वर्तमान आवश्यकता का अनुभव कर अनेक भाषाओं के अनेकानेक प्रचलित शब्दों को अत्यंत सहजता से आत्मसात करने में उल्लेखनीय सफलता अर्जित की है। अन्तर्राष्ट्रीय भाषा के नाम से पुकारी जाने वाली "अंग्रेज़ी" भाषा संभवतः अन्य भाषाओं के अतिप्रचलित शब्दों को बिना किसी संकोच के आत्मसात कर स्वयं के शब्दकोश को विस्तारित करने की अपनी अनुपम विशेषता के फलस्वरूप ही उक्त गौरव प्राप्त कर सकी। हिंदी भी मुझे इसी प्रगतिपथ पर अग्रसर दिखाई देती है! हिंदी दिवस की शुभकामना व बधाई देते हुए अगणित हिन्दीपुत्र/ पुत्रियों की रचनाएँ विभिन्न सोशल मीडिया पटलों पर देखिये तो सही, उनमें बड़ी सहजता से अन्य भाषाओं यथा उर्दू, अरबी, फारसी, नेपाली, और अंग्रेज़ी के भी शब्दों का सहज प्रयोग किया गया है! हिंदी के प्रचार- प्रसार और विकास के लिए यह अत्यंत आवश्यक और सुखद संकेत प्रतीत होता है। अनेकानेक भाषाओं और बोलियों के प्रचलित शब्दों का समावेश करते हुए हिंदी शनैः शनैः अपना आँचल विस्तृत करती जा रही है और वह दिन अधिक दूर नहीं जब मात्र भारतवर्ष ही नहीं, समूचा विश्व हिंदी की आवश्यकता और इसकी विहंगमता को स्वीकार करने को विवश होगा!
यहाँ यह उल्लेखनीय है कि मात्र कौतूहल उत्पन्न करने हेतु अथवा प्रदर्शन के उद्देश्य से बिना विचारे अन्य भाषा के शब्दों का दुरुपयोग हिंदी की उन्नति के परिप्रेक्ष्य में कुछेक आशंकायें भी उत्पन्न करता है! इसलिए, यह आवश्यक है कि हिंदी के विहंगम शब्दकोश में उचित विमर्श के पश्चात ही अन्य भाषाओं के आवश्यक शब्दों का समावेश हो! किन्तु समय के साथ- साथ यह समावेश अनिवार्य भी है, ऐसा इसलिए कि किसी भाषा की उन्नति-प्रगति हेतु उसके शब्दकोष में यथोचित सामयिक संवर्धन अत्यंत आवश्यक है। इस प्रकार के समावेश का एक प्रभाव यह भी हो रहा है कि अपनी भाषा के शब्दों को हिंदी में देखकर अन्यभाषाभाषी भी हिंदी के प्रयोग की ओर अग्रसर हो रहे हैं, मुझे लगता है यह सुखद शुभारंभ है! भाषा की उन्नति और प्रसार मात्र व्याकरणसम्मत लेखन- पठन से नहीं अपितु उसकी ग्राह्यता के संवर्धन से ही संभव है!😊
सभी स्नेहीजनों को हिंदी दिवस की अनेकशः शुभकामनाएँ!😊💐💐

माँ हिंदी की उपलब्धियों पर उसका गर्वित पुत्र
विजय शुक्ल बादल
जय हिंदी; जय भारत!🇮🇳🇮🇳
#हिंदी_दिवस