कविता की एक नई विधा "चन्द्रकला" जिसमें कुल 21 पंक्तियाँ होती हैं। प्रथम पंक्ति एक शब्द की, दूसरी 2 शब्दों की और इसी तरह प्रत्येक पंक्ति एक–एक शब्द बढ़कर 11वीं पंक्ति 11 शब्दों की हो जाती है। 11वीं पंक्ति के पश्चात 12 वीं पंक्ति से पुनः एक – एक शब्द घटता जाता है और अंतिम 21 वीं पंक्ति मात्र 1 शब्द की राह जाती है! स्वयं ही परीक्षण कीजिए:
एक
चिड़िया की
बेसाख्ता चहचहाहट को,
चाहिए पिंजरे में पानी?
चुगने को दाने, सुरक्षित आसरा?
नहीं, चिड़िया को चाहिए खुला आसमान!
ताकि खोल सके अपने मज़बूत पंखों को!
भर सके परवाज़ आसमान की असीम ऊंचाइयों तक!
बता सके ज़माने को कि उसे प्यारी है अपनी आज़ादी!
आज़ादी, अभिव्यक्ति के खुले आसमान में एक उन्मुक्त उड़ान भरने की!
आज़ादी, अपने आशियाने को अपनी मर्ज़ी के मुताबिक़ गढ़ने की।
मगर आज़ादी मुफ़्त में मिलती नहीं, बलिदान मांगती है।
आज़ादी बदले में आशियाना और जान मांगती है।
उड़ती चिड़िया पर सबकी निगाह होती हैं।
तीरों की बौछार बेपनाह होती है।
माना आजाद उड़ान कठिन है।
सहना अपमान कठिन है!
चुनकर आजाद उड़ान
इठलाती है
चिड़िया!
© डॉ०विजय शुक्ल बादल