Saturday, May 21, 2016

दकियानूसी सोंच

ज़माना आज भी वैसा ही है...दकियानूसी सोच जिसे वो पता नहीं किस चिनौटी में दबा के बैठा रहता है... (ज्ञानवर्धक शब्द
चिनौटी अर्थात तम्बाकू रखने की डिबिया😝😝)
लेकिन समाज की ये दकियानूसी सोच आँख कान गला की बीमारिया और कैंसर फ़ैलाने वाली तम्बाकू से भी ज़यादह खतरनाक है...
दरअसल हुआ यूँ कि मेरे यहाँ छुटकू (मेरा भतीजा हर्ष) के मुंडन का प्रीतभोज होना था तो मैंने कहा बुफे (buffet)सिस्टम से खाने की व्यस्था करें...तो कई रिश्तेदारों का मत मेरे मत से असहमत दिखा! गाँव के एक ताऊ कुछ यूँ बोले, "हम का ये गिद्धभोज न समझ आवे... पता नहीं कौन कौन कैसे कैसे खात रहा पिछली बार मुन्ना की बरात मा! हमका तो जमीन पर बिठाल के खिलाओ हाँ! पता नहीं कौन कौन जात का वेटरवा खाना लगावै के खातिर आ जात हैं... हम त न खाब भाई पासी चमार के हाथ का..."
तो मैंने कहा, "ताऊ ये जो शक्कर खाते हो आप पता है आपको? इसको क्या कोई कनौजिया बाजपाई जी आके सूखाते हैं...इसको तो वही...अपने गाँव के हरिजनटोला के सुक्खा, पेरू जैसे मज़दूर भाई ही खम्बारखेरा शुगर मिल में धुप में कभी हाथ कभी पाँव से चला चला के सुखाते हैं...उस शक्कर का तो आप नौरात्र में माँ दुर्गा को बसंदर चढ़ा दिए अब क्याहोगा? देवी नाराज हो जाएँगी अब तो...?"
तो वो फटाक से बोले, "ओकरा पावन ते सक्कर चलावत हम थोड़े ही देखा...""पर ताऊ बिल्ली के आँखे बंद कर लेने से अँधेरा थोड़े हो जाता है, अब तो आपका नवरात्र व्रत टूट ही गया समझो...! ताऊ जी कहाँ आप भी...ज़्यादा पांडित्य खतरे में हो तो ऐसा करेंगे जो पासी चमार वेटर होंगे उनको मोटा मोटा जनेऊ पहना के बड़ा सा तिलक लगा के ले आएंगे फिर तो आपको कोई समस्या नहीं होगी...?" तो बोले, "राम राम ई लड़िका की तउ पढ़ि लिख कई बुद्धि खराब हुइ गयी...राम राम राम राम..." ऐसा कहते हुए वो अपनी चुनौटी से तम्बाकू हथेली पर लेकर मसलते हुए मुझे और नजाने क्या क्या कहते हुए ...आखिर वो चले गए पर अब वो नहीं आएंगे हमारे यहाँ प्रीतिभोज में...उनका जनेऊ हमारे वेटर्स के जनेऊ से पतला जो हो जायेगा न! खैर कहानी ख़त्म! पर बात यहाँ खत्म नही होती, यहीं से शुरू होती है...क्या हरिजन या अन्य नीची जाति के लोग इंसान नहीं? क्या ऊपर वाले ने इनके साथ कोई भेदभाव किया है? सब कुछ वही तो दिया है उसने इन्हें भी जो अन्य जाति के लोगो को दिया तो हम कौन होते है जाति धर्म मजहब केनाम पर भेदभाव फैलाने वाले? सारे भारतीय एक सामान हैं!!!
सोच बदलो, देश बदलो! सब समान हैं, सब इंसान हैं...आओ हम सब समानता के वाहक बनें! जय हिन्द; जय भारत!!!
निवेदक- विजय शुक्ल बादल
9648466384

1 comment:

  1. samaj me jane kya kya tark hai jo naye samaj nirmaan me badha pahuchate hai

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