Friday, March 10, 2017

ग़ज़ल- प्रश्न है तो है हल समझेंगे


प्रश्न है तो है हल, समझेंगे।
आज नहीं तो कल समझेंगे।।

हिन्दू मुस्लिम सिक्ख ईसाई,
राजनीति का छल समझेंगे।।

भाई अक्सर क्यों लड़ते हम,
बैठ ज़रा दो पल, समझेंगे।।

आ चल! गंगातट चलते हैं,
क्या है गंगाजल, समझेंगे।।

क्या हम कलयुग के रावण से,
सीता का आँचल समझेंगे?

आओ आज को जी भर जी लें,
कल जो होगा,  कल समझेंगे।।

कब साहिल पर बैठने वाले,
सागर की हलचल समझेंगे!?










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