Friday, September 1, 2017

कैसे कुछ बोले गूंगों की बस्ती है,
और बहरे सरकार चलाने वाले हैं!
मनमाने मुसिफ़, फ़रियादी बेबस हैं,
न्याय का शव क्षत-विक्षत, सच पर ताले हैं!!


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