Friday, September 1, 2017

एक मुक्तक

क़फ़स में कबसे इक परिंदा है!
जाने किस बात पे शर्मिंदा है?
वो जो इंसाँ था मर गया कल शब,
वो जो नेता है वही ज़िंदा है।।

2 comments:

  1. सबल अभिव्यक्ति

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    1. हार्दिक आभार! देरी से उत्तर हेतु क्षमा कीजिए🤗🙏

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